गर्मी की उस रोज़ कमरे में बैठी किताब पढ़ रही थी,लू और उमस से परेशान खिड़कियों पर परदे डाल रखे थे।बाहर का हाल बेहाल था, सूरज झुलसा देने वाली आग निकाल रहा था।शांत गर्मी की दोपहरी में बस पढ़ते पढ़ते कब आँख लग गई पता ही नहीं चला।कुछ देर बाद, एक ठंडे झोंके से जबContinue reading “वो पहली बारिश…”