गर्मी की उस रोज़ कमरे में बैठी किताब पढ़ रही थी,
लू और उमस से परेशान खिड़कियों पर परदे डाल रखे थे।
बाहर का हाल बेहाल था, सूरज झुलसा देने वाली आग निकाल रहा था।
शांत गर्मी की दोपहरी में बस पढ़ते पढ़ते कब आँख लग गई पता ही नहीं चला।
कुछ देर बाद, एक ठंडे झोंके से जब आँखें खुली तो देखा की परदे उड़ रहे थे, खिड़कियां खुल गयी थीं और उनसे आती ठंडी हवाएं मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहीं थीं।
थोड़ी देर पहले लू वाली जिस हवा की वजह से खिड़कियां बंद की थीं अब उसी हवा को चेहरे पर महसूस करने का मन हो रहा था। परदे हटाए तो देखा की मौसम ने करवट ले ली थी।।
मेघ घिर आये थे, मानो सूरज ने उनके सामने समर्पण कर दिया हो, कोयल की कूक सुनाई दे रही थी। शायद मैंने ध्यान बहुत देर बाद दिया था की स्वतः ही होंठों पर एक मुस्कुराहट सी छलक आयी थी और आँखें ख़ुशी से चमक उठी थी, बिलकुल महबूब से मिलने की ख़ुशी सी।
बादलों की गड़गड़ाहट से यूँ लगा मानो इसी आवाज़ की प्रतीक्षा थी कबसे दिल को। इतने दिनों की दूरी के बाद अब तो मिलने की घड़ी आयी थी। एक पल भी गवाए बिना, कमरे से निकल सीढ़ियों से होती हुई छत की ओर भागी।
नंगे पाओं छत पहुंची तो लगा प्रियतम से सामना हुआ, बूँदें गिरने लगीं थीं, कुछ ऐसा जादू था उस बरसात की आशिकी में, की वो एहसास लेने बस ज्यूँ की त्यों ही खड़ी रही बेसुध। उन बूदों के स्पर्श ने जैसे किसी औषधि सा काम किया, सब कुछ धुल सा गया, मन भी और तन भी। वे सच ही कहते हैं की “धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है”!!
पहली बारिश का एहसास सच में बहुत ख़ास होता है।
ऐसी थी उस साल के मानसून की पहली बारिश !!
-एलीसिअन बुकग्राफी
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Wow! Did it rained ? After so long I read something in Hindi.. loved it..
नंगे पाओं छत पहुंची तो लगा प्रियतम से सामना हुआ
Also I read in the voice that comes in the song Morey Piya! Thanks for sharing 🙏
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Whether it’s a first Kiss, the first raindrop on dry land, the smell of petrichor or when you touched the snow for the first time they all have a feeling of a lost world
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