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“मैं रावण हूँ।
मैं यह सब कुछ चाहता हूँ।
मुझे ख्याति चाहिए।मुझे शक्ति चाहिए।मुझे संपत्ति चाहिए।
मुझे पूर्ण विजय चाहिए।
भले ही मेरा यश मेरे दुःख के साथ-साथ चले।”
‘रावण आर्यावर्त का शत्रु’, रामचंद्र श्रृंखला की तीसरी किताब है।इससे पूर्व लेखक अमीश ने हमारे सामने राम और सीता के जीवन को एक नए रूप से पेश किया जो हमारी धार्मिक अवधारणा से थोड़ा अलग था, अमीश की लिखी पुस्तकें हमें सोचने पर मजबूर करती हैं और कहीं हद तक समझाने का प्रयास करती हैं हमारी पौराणिक कथाओं को,परन्तु थोड़े अलग नजरिये से।
यह किताब रावण के बाल्यावस्था से उसके एक क्रूर शासक बनने तक की कहानी बताती है, इस कहानी में आपको पता चलता है की रावण के बचपन की परिस्तिथियाँ उसके अनरूप नहीं थीं जिसकी वजह से उसमे उसी वक्त से गुस्सा भरता चला जाता है, पर यहाँ अमीश हमें यही बताते हैं की एक व्यक्ति जो अच्छा होता है उसके जीवन में चाहे कैसी भी परिस्तिथि आये वह हमेशा सच और धर्म के ही मार्ग पर चलता है, उदाहरण के लिए राम के साथ भी नियति ने बहुत अच्छा व्यवहार नहीं किया परन्तु उन्होंने अपने धर्म के मार्ग पर चलने का फैसला नहीं बदला पर रावण ऐसा नहीं कर पाया। एक व्यक्ति अपनी सोच और जीवन में लिए गए अपने फैसलों से ही जाना जाता है और यही अंतर है जिससे राम, राम बने और रावण,रावण बना।
रावण के जीवन पर प्रकाश डालती यह किताब बहुत ही रोचक है, अनसुनी कहानियां पाठक की दिलचस्पी और बढ़ाती है, रावण के क्रूर व्यक्तित्व के साथ साथ उसके अपने भाई कुम्भकरण के प्रति लगाव को बहुत ही अच्छे से दर्शाया गया है, कुम्भकरण के साथ हंसी ठिठोली पाठक को मनोरंजन की पूरी खुराक देती है। रावण के अधूरे और एकलौते सच्चे प्रेम सम्बन्ध का मार्मिक चित्रण अमीश ने बखूबी किया है,यह कहानी को एक नया आयाम देती है. कहानी के अंत तक आपको बहुत सारे राज़ पता चलते हैं जो पाठक को आगे की किताब पढ़ने के लिए उत्सुक करते हैं।
यह किताब आपको एक मूल अर्थ समझाती है की हमारे आज के लिए हुए फैसले ही हमारे आने वाले भविष्य का निर्माण करते हैं, रावण के अपने जीवन में समय समय पर लिए गए फैसलों के कारण ही आज दुनिया उसे एक बुरे इंसान के रूप में जानती है, यह पुस्तक आपको मजबूर करती यह सोचने के लिए की क्या होता अगर उस समय रावण ने वो राह न चुनी होती?, क्या होता अगर उसने कुछ गलत फैसले न लिए होते? क्या होता यदी वह एक क्रूर शासक, एक शत्रु बनकर नहीं उभरता? परन्तु उसने विपरीत राह खुद चुनी थी, यह उसने खुद चुना की वह दुनिया का ऐसा शासक बनेगा जिसे लोग एक क्रूर,हिंसक, दयाहीन और इतिहास के सबसे बड़े खलनायक के रूप में जानेंगे जिसका नाम रावण है।
Rating 5/5 ⭐️⭐️⭐️⭐️⭐️